बुधवार

जाना भी जरुरी है


वो कह के चले इतनी मुलाक़ात बहुत हे
मैं ने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत हे,

आँसू मेरे थम जायें तो फिर शौक़ से जाना
ऐसे मे कहाँ जाओगे बरसात बहुत हे ,

वो कह ने लगे जाना मेरा बहुत ज़रोरी हे
नही चाहती दिल तोड़ना तेरा पर मजबूरी बहुत हे,

अगर हुई हो कोई ख़ता तो माफ़ कर देना
मैं ने कहा हो जाओ चुप इतनी कही बात बहुत हे,

समझ गया हूँ सब और कुछ कहो ज़रूरी नही
बस आज की रात रुक जाओ, जाना इतना भी ज़रूरी नही,

फिर कभी ना आओंगा तुम्हारी ज़िंदगी में लौट के
सारी ज़िंदगी तन्हाई के लिए आज की रात बहुत हे......!!!

रविवार

ॐ "जय माता दी "ॐ





ॐ गणपत्याये नमः
सबसे पहले मै उस भगवान परम आत्मा को धन्यवाद देता हू जो मुझे उसके बारे में सोचने और समझने की शक्ति प्रदान करता है |उस भगवान की चरण वंदना करता हू जीसने मुझे इस संसार में आने का और अपने जीवन को सुधरने का एक मौका और दिया| उस भगवान की चरण वंदना करता हू जीसने मुझे इस संसार में आने के लीये मनुष्य योनी प्रधान की |मै उस परम आत्मा को धन्यवाद देता हू जीसने मुझ में उस के विश्वास को बनाए रखा तथा मेरे मन को उन नेक कर्मो की तरफ झूकाए रखा | अपने सब रूप इस संसार को दिखा कर अलग अलग धर्मो का निर्माण किया| मैं उस परम पिता परमात्मा से विनती करता हू कि उसके बच्चों को, इन मनुष्यों को अपने इन रूपों को समझने के शक्ति प्रधान करे|