
वो कह के चले इतनी मुलाक़ात बहुत हे
मैं ने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत हे,
आँसू मेरे थम जायें तो फिर शौक़ से जाना
ऐसे मे कहाँ जाओगे बरसात बहुत हे ,
वो कह ने लगे जाना मेरा बहुत ज़रोरी हे
नही चाहती दिल तोड़ना तेरा पर मजबूरी बहुत हे,
अगर हुई हो कोई ख़ता तो माफ़ कर देना
मैं ने कहा हो जाओ चुप इतनी कही बात बहुत हे,
समझ गया हूँ सब और कुछ कहो ज़रूरी नही
बस आज की रात रुक जाओ, जाना इतना भी ज़रूरी नही,
फिर कभी ना आओंगा तुम्हारी ज़िंदगी में लौट के
सारी ज़िंदगी तन्हाई के लिए आज की रात बहुत हे......!!!