गुरुवार

इन्सान की दुर्गन्ध

"सुनो बहन, आज तुम इतनी उदास क्यों लग रही हो ?" एक पेड़ की मधुमक्खी ने दूसरे पेड़ की मधुमक्खी से पूछा ।
"बहन चिंता हो रही है कि पता नहीं ठोर ठिकाना कब उज़ड़ जाए । कल रात सोने से पहले देखा था कि पड़ोस वाला पेड़ पत्तों से लदा था, और आज देखा विरान है।"
"हाँ बहन, रही कह रही हो, यह धुर्त व चालाक़ इन्सान हमारा शहद भी ले लेता है और हमारा घर भी उजाड़ देता है ।"
"तो बहन हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे ।"
"क्या करेंगी हम सब?"
"आज रात को जब इन्सान पेड़ पर हमला करेगा तो हम सब इकठ्ठे हो कर उसे इतना काटेँगी... इतना काटेँगी कि वह दोबारा आने तक की नहीं सोचेगा"
"हमें कैसे पता चलेगा कि वो लोग आ गए हैं?"
"अरे ! बहन इन्सान की दुर्गन्ध तो दूर से ही पता चल जाती है ।"

सोमवार

ये साली जिंदगी....

सुबह ६ बजे उठाना, भाग-भाग कर ८ बजे तक बच्चो समेत तैयार होना, ऑफिस जाते समय उनको स्कूल छोडना, ऑफिस पहुच कर डरते डरते टाइम देखना, सीट पर बैठने के बाद काम देख कर प्यास लगना, १ बजे बच्चो को स्कूल के लाने के लिए २-३ फोन कर के कॉन्फीर्म करना, चाय पीते हुए अपने वरिष्ठों को गलिया देना, शाम को ६ बजे लेट हो गए सोच कर बाकि काम कल करने की कह कर घर की तरफ भागना, ऑफिस से निकलते हुये ट्राफिक या बस-रेल की चिंता करना, घर पहुच कर टीवी ओन कर लम्बी सांस ले कर बीवी को चाय का आर्डर देना, थोड़े देर टीवी देखते हुए चाय का आनंद लेना, बच्चो पर चिल्ला कर खा-पी कर सो जाना .................

यही है साली जिंदगी.......

पूरे दिन न कुछ अपने लिए किया, न देश - दुनिया के लिए और न साला दिमाग का ही थोडा इस्तेमाल किया | खाया - पिया और सो गया....
कल फिर वही........

इसी जिंदगी को जीते हुये २१ से ५९ साल हो गए | आज याद आया अगले साल नौकरी छूट जाएगी, पर साला जिंदगी के काम पुरे नहीं हुये | अभी तो बला बला काम बाकि थे | वो कब करुगा?
अरे | बुजुर्गो ने कहा था अपने अगले जनम के लिए भी कुछ करना चाहिए, अभी तक कुछ तो नहीं किया... अभी तो वो भी बाकि है | चलो कोए नहीं ये काम तो हम खटिया में पड़े हुए भी कर लेगे, इसके लिए कोए घूमने के जरूरत थोड़ी है | कुछ और दिन बाद ये देखेगे..

ओए |
ये क्या ? जिन के लिए सारी जिंदगी बर्बाद कर दी, वो बच्चे हम से बात तक नहीं कर रहे...
अब क्या हो ...
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का....

आज समझ में आया यही है साली जिंदगी.......