"सुनो बहन, आज तुम इतनी उदास क्यों लग रही हो ?" एक पेड़ की मधुमक्खी ने दूसरे पेड़ की मधुमक्खी से पूछा ।
"बहन चिंता हो रही है कि पता नहीं ठोर ठिकाना कब उज़ड़ जाए । कल रात सोने से पहले देखा था कि पड़ोस वाला पेड़ पत्तों से लदा था, और आज देखा विरान है।"
"हाँ बहन, रही कह रही हो, यह धुर्त व चालाक़ इन्सान हमारा शहद भी ले लेता है और हमारा घर भी उजाड़ देता है ।"
"तो बहन हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे ।"
"क्या करेंगी हम सब?"
"आज रात को जब इन्सान पेड़ पर हमला करेगा तो हम सब इकठ्ठे हो कर उसे इतना काटेँगी... इतना काटेँगी कि वह दोबारा आने तक की नहीं सोचेगा"
"हमें कैसे पता चलेगा कि वो लोग आ गए हैं?"
"अरे ! बहन इन्सान की दुर्गन्ध तो दूर से ही पता चल जाती है ।"
"बहन चिंता हो रही है कि पता नहीं ठोर ठिकाना कब उज़ड़ जाए । कल रात सोने से पहले देखा था कि पड़ोस वाला पेड़ पत्तों से लदा था, और आज देखा विरान है।"
"हाँ बहन, रही कह रही हो, यह धुर्त व चालाक़ इन्सान हमारा शहद भी ले लेता है और हमारा घर भी उजाड़ देता है ।"
"तो बहन हम उन्हें ऐसा नहीं करने देंगे ।"
"क्या करेंगी हम सब?"
"आज रात को जब इन्सान पेड़ पर हमला करेगा तो हम सब इकठ्ठे हो कर उसे इतना काटेँगी... इतना काटेँगी कि वह दोबारा आने तक की नहीं सोचेगा"
"हमें कैसे पता चलेगा कि वो लोग आ गए हैं?"
"अरे ! बहन इन्सान की दुर्गन्ध तो दूर से ही पता चल जाती है ।"