भक्ति, शक्ति और हिंदुत्व के साथ जो जिंदगी की यात्रा मैने जी है और जिस प्रकार जीने का अनुमान है, उस भूत और भविष्य को लेखनी के माध्यम से संवादित करने की चेष्ठा करूंगा। सामान्यता हर जीव की यात्रा में सुख दुःख धूप छांव की तरह आते रहते हैं, परंतु इस यात्रा की इस धूप छांव को अपने सहयात्रियों से साझा करने पर इसे मज़ेदार और प्रसन्नचित बनाया जा सकता है। इसलिए आइए, मैं अपने विचार रखता हूं, आप अपने विचार व्यक्त कीजिए।
रविवार
प्रेम कथा,
प्रेम के इस वसंती मौसम में
कोई लिख रहा है प्रेम कथा।
गुनगुनी धूप जैसे गुजरती है देह के आरपार
बहती है संबंधों की एक उन्मुक्त नदी,
जो शब्दों की परिधि नहीं मानती
मौन-सा कुछ-कुछ पनपता है
देह नहीं, आत्मा तक उतर जाता है कुछ।
अंजलि-भर सुख सभी चाहते हैं
उदासियों में भी छिपा होता है
स्मृतियों का सुख,
हवा में उड़ कर आई हंसी
गंध का कटोरा भर कर लाती है
नीले आसमान से टपकता है
एहसास का अमृत
बावरा मन कभी जीता है कभी मरता है।
प्रेम की राह होती है सपनों सरीखी
और हर कोई
सपनों को सजोकर रखना चाहता है,
थके हुए सपनों को
भावनाओं की परी
प्रेमानुभूति की लोरी सुनाती है।
प्रेम के इस वसंती मौसम में
कोई लिख रहा है प्रेम कथा,
जैसे मंदिर की देहरी पर
जल रहा हो एक मौन दीपक!
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