गुरुवार

एक तरीका यह भी सत्याग्रह का

लोग अलग-अलग तरीकों से अपने गुस्से को अभिव्यक्त करते हैं. कुछ झगड़ा करते हैं, तो कुछ तोड़-फोड़. कोई सत्याग्रह करता है, तो कोई अनशन. मकसद एक ही होता है -  सामने वाले को समझाना कि मैं आपसे या आपके तौर-तरीकों से सहमत नहीं हूँ.
बीजिंग(चीन) की एक बैंक शाखा के स्टाफ की कार्य प्रणाली से नाराज एक ग्राहक ने अपना विरोध निहायत ही अनूठे तरीके से दर्ज कराया.
जब वह ग्राहक बैंक पहुंचा तो उसने पाया कि सिर्फ एक ही काउंटर चालू है और उसके सामने ग्राहकों की लंबी लाइन लगी हुई है. बैंक स्टाफ के अधिकांश सदस्य ग्राहकों को निपटाने की बजाय इधर-उधर की बातों में मशगूल हैं. जब उसने सिर्फ एक ही काउंटर चालू होने की शिकायत बैंक के एक स्टाफ-मेंबर  से की तो उसे अनसुना कर दिया गया.
ग्राहक को यह सब बहुत नागवार गुजर और उसने बैंक-स्टाफ को सबक सिखाने की ठान ली. जैसे ही उसका नंबर आया तो उसने अपने खाते से मात्र एक युआन (चीनी मुद्रा) निकालने को कहा. भुगतान होते ही उसने फिर एक युआन निकालने को कहा. फिर जैसे ही उसे एक युआन का भुगतान किया गया उसने फिर एक युआन का भुगतान करने को कह दिया.
इस तरह उसके एक-एक युआन करके रकम निकालने से बैंक-क्लर्क परेशान हो उठा. उसने ग्राहक से कहा कि वह जितनी रकम निकालना चाहता है, एक बार में निकाल ले. पर ग्राहक तो जान-बूझ कर यह सब कर रहा था. उसने मना कर दिया और कहा कि वह तो एक-एक युआन करके ही निकालेगा और बैंक के नियमानुसार इसके लिए उसे  मना नहीं किया जा सकता.
बैंक स्टाफ के दूसरे सदस्यों ने भी उसे समझाने की कोशिश के पर असफल रहे.  हारकर उन्होंने पुलिस को खबर की. पुलिस आई, लेकिन चूंकि उसने कोई गैर-कानूनी काम नहीं किया था इसलिए उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती थी.
आखिरकार, किसी तरह पुलिस उसे समझाने-बुझाने में कामयाब हुई तब जाकर मामला निपटा.
शायद बैंक वालों को भी समझ में आ गया होगा कि जब वे ग्राहक को परेशान करते हैं तो उसे कैसा लगता होगा.