मौसम मन का अनुवाद है
प्रकृति में बसंत
और मन में पतझर हो
तो खिले फूल भी खिले नहीं होते
ये मौसम के लिए मन का
प्रतिवाद है।
खिलने की ऋतु भी
मुरझाई रहती
उमंग की धरा
अलसाई रहती
लौटती धारा सा
विपरीत दिशा में चलन
ये मन का विसंवाद है।
कोयल बोले तो
मन में पुलक भरे
मयूर नाचे तो
मन नृत्य करे
झरनों के संग मन करे
मन की ऋतु के अनुकूल ही
मौसम मन का अनुवाद है।
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