शुक्रवार

नारी ही नारी पर भारी

अक्सर मैं सुनता हूँ, पढता हूँ कि भारतीय नारी पुरुषों के अत्याचार का शिकार है! नारी अबला है, असहाय है ! किन्तु जब मैं भारत मैं नारी कि दुर्दशा के बारे मैं गहनता से सोचता हूँ तो पाता हूँ कि इसकी मुख्य बजह नारी ही है ! जैसा कि भारत मैं प्रचलित एक मुहावरा है, एक मयान मैं दो तलवारें नहीं रह सकती हैं उसकी बजह भी मुझे अभी ही पता चली कि तो धारदार महिलाएं एक साथ शांति से नहीं रह सकतीं ! वर्ना आप खुद ही देख लीजिये जब एक बंदूक मैं दो कारतूस रह सकते हैं तो दो तलवारें क्यों नहीं ! क्योंकि तलवार स्त्रीलिंग है, और कारतूस पुर्लिंग ! ज्यादातर भारतीय महिलाओं कि स्तिथि ससुराल मैं जाकर ही दयनीय हो जाती है, मायके मैं तो सभी बेटियां ख़ुशी से रहती हैं, किन्तु जहाँ उनकी शादी हुई उन पर जुल्म शुरू, जुल्म ढाने वालीं कौन सी तलवारें सास, ननद, जेठानी वगैरह, वगैरह ! अब अगर खाने मैं नमक जयादा पड़ जाये तो बहु कि आफत कारतूस (ससुर )बेचारा चुपचाप ज्यादा नमक वाला खाना खा लेगा, किन्तु तलवार ( सास ) वही ज्यादा नमक बहु के जले पर छिडके बिना नहीं रहेगी ! तुम्हारी मा ने यही सिखाया क्या ! बहु अगर देर से सोकर उठे तो कारतूस ( ससुर ) बेचारा कहेगा अरे जरा देखो तो बहु कि कहीं तबियत तो खराब नहीं किन्तु तलवार ( सास ) तुरंत पलटवार करेगी मायके मैं ऐसा ही होता होगा ! मेरे मोहल्ले मैं भी एक ऐसी हीं ललिता पवार टाइप सास और एक राखी सावंत टाइप बहु रहती हैं ! अक्सर दोनों मैं खींचतान होती रहती है, उस सास को अपनी बहु के अलावा दुनिया कि सारी बहुओं मैं खूबियाँ नजर आती हैं ! अरे उसकी बहु ने ऐसा किया, उसकी बहु ने वैसा किया ! ये सुनकर बहु अन्दर ही अन्दर लाल पीली होती रहती है मगर किसी से कुछ कह नहीं पाती ! एक दिन मैं भाभी जी के घर गया, किस्मत से बड़ी तलवार याने सास नहीं थी ! मैंने भाभी जी से पूछा भाभी जी सब बढ़िया हैं ! वो बोली अरे भाईसाहब क्या खाक बढ़िया है, अम्मा ने तो नाक मैं दम कर रखा है ! मैंने पूछा अरे भाभी जी ऐसी क्या चीज ललिता पवार आंटी ने आपकी नाक मैं घुसेड दी जो आपका दम नाक मैं आ गया ? अरे भाईसाहब आप मेरी कहानी सुनेंगे तो आप के भी आंसू निकल आयेंगे आप तो बैसे भी काफी भावुक इंसान हैं ! मैंने कहा अरे भाभी माजरा तो बताइए शायद मैं आपकी समस्या का कोई हल निकाल सकूँ ! क्या बताऊँ भाईसाहब, कल अम्माजी बोलीं बहु एक बात बता मैं अगर सोफे पर बैठूं तो तू कहाँ बैठेगी ? मैंने कहा मा जी मैं आपके बरावर कैसे बैठ सकती हूँ मैं कुर्सी पर बैठ जाउंगी ! अच्छा अगर मैं कुर्सी पर बैठूं तो तू कहाँ बैठेगी ? मा जी मैं फर्श पर बैठ जाउंगी ! अच्छा अगर मैं फर्श पर बैठूं तो तू कहाँ बैठेगी ! मैंने कहा मा जी मैं जमीं मैं गढ्ढा खोद कर उसमें बैठ जाउंगी ! अम्मा बोली अगर मैं तेरे खुदे गड्ढे मैं खुद बैठ जाऊं तो तू क्या करेगी ! अब बताइए भाईसाहब अब इससे नीचे मैं कहाँ बैठ सकती हूँ ! इस समस्या का कोई हल है तुम्हारे पास ! मेरे दिमाग मैं एक बेहतरीन आईडिया आया जो खयाली ने लाफ्टर चेलंज मैं बताया मैं बोला भाभी, तुम बड़ी भोली हो तुम्हारी समस्याओं का परमानेंट इलाज़ बताता हूँ ! अगर कभी तुम्हारी सास उस खुदे गड्ढे मैं बैठ जाये, तो तुम वाही खुदी हुई मिटटी उस गड्ढे मैं डालकर गड्ढा बंद कर देना समस्या का हमेशा के लिए समाधान !

मेरे मोहल्ले मैं ऐसी कई महिलाएं हैं जिनका काम सिर्फ महिलाओं कि परेशानियाँ बढ़ाना ही है ! जैसे यदि किसी महिला कि शादी हुई और ९ महीने मैं बच्चा नहीं हुआ तो १० वें महीने से इनके पेट मैं दर्द शुरू हो जाता है ! सास के कान भरने लगेंगी क्यों तुम्हारी बहु कब मा बन रही है ! कोई Problem है क्या ! अगर किसी बहु के दो से ज्यादा बच्चे हो जाये तो इन्हें परेशानी क्यों तुम्हारी बहु को और कोई काम नहीं, सिर्फ बच्चे ही पैदा करती है क्या ?

क्यों एक सास और एक बहु मा बेटी नहीं बन सकतीं ? क्यों एक ननद और एक भाभी बहिन नहीं बन सकतीं ! क्यों बात – बात मैं सास बहु को ताने मारती हैं ? और बहु क्यों जरा – जरा सी बात पर बुरा मान जाती हैं ? गलती दोनों कि है क्या सास जिस गलती पर बहु को ताना मारती है क्या उसी गलती पर बह अपनी बेटी को भी सबक सिखाएगी ? या जब सास कोई सीख बहु को देती है तो बहु उसे हमेशा ताना ही क्यों समझती है ? यदि यही सबक उसकी मा ने दिया होता तो बह ऐसे बुरा मानती ?

ऐसे कई सवाल मेरे मन मैं उठते हैं ! और अंत मैं यही निष्कर्ष निकालता हूँ कि नारी ही नारी की असली दुश्मन हैं न की पुरुष !

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