रविवार

congratulations for 1st bronze 2024 Olympic paris

congratulations Mannu

मनु भाकर एक प्रसिद्ध भारतीय शूटर हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने युवा उम्र में ही निशानेबाजी में सफलता प्राप्त की और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। 

मनु का जन्म हरियाणा के झज्जर जिले के गोरिया गाँव में हुआ है। उनके पिता मरीन इंजीनियर हैं और माँ स्कूल में प्रिंसिपल हैं। बचपन से ही मनु ने निशानेबाजी के साथ-साथ मुक्केबाजी, एथलेटिक्स, स्केटिंग और जूडो कराटे जैसे खेलों में भी भाग लिया। जब मनु की उम्र 18 साल से कम थी, तो उनके पिता ने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी लाइसेंसी पिस्टल के साथ मनु को प्रशिक्षण के लिए ले जाने लगे। हालाँकि, किसी नाबालिग के लिए सार्वजनिक परिवहन में पिस्टल ले जाना अवैध है।

मनु भाकर को 2012 ओलंपिक के बाद गठित राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) से समर्थन मिला। इन संस्थाओं ने व्यक्तिगत कोच रखने की व्यवस्था शुरू की, जिसमें प्रसिद्ध शूटर को कोच के रूप में नियुक्त किया जाता है। मनु भाकर को भी भारत के प्रसिद्ध शूटर जसपाल राणा से कोचिंग प्राप्त हुई।

गुरुवार

ज़रा सा नहीं सही समझे ज़िन्दगी में, 8 का सार के पहाड़े की बहुत एहमियत होती है !

 इसे ज़रूर पढ़िए और समझिए सोचिए 
8 x 01 = 08   ...बचपन
8 × 02 = 16   ...जवानी की शुरुआत
8 × 03 = 24   ...शादी की उम्र
8 × 04 = 32   ...बच्चों की ज़िम्मेदारी होना
8 × 05 = 40   ...खुशहाल परिवार
8 × 06 = 48   ...साँसारिक ज़िम्मेदारी और 
                स्वास्थ्य के बिगड़ने की शुरुआत
8 × 07 = 56   ...बुढ़ापे की शुरुआत, 
                रिटायरमेन्ट की तैयारी और 
                वसीयत लिख डालने का समय
8 × 08 = 64   ...रिटायरमेन्ट के बाद कम से कम
                तनाव में रहने का प्रयास और
                सेहत का ख्याल रखना
8 × 09 = 72   ...रोग और स्वास्थ्य सम्बन्धी 
                तकलीफों से सामना, 
                खुद को ज़्यादा से ज़्यादा 
                खुश रखने का प्रयास
8 × 10 = 80   ...पिछले 80 सालों मे जिन मित्रों और सहयोगियों और रिश्तेदारों ने आपका सुख दुःख में भी नहीं छोड़ा, उनके साथ हँसी खुशी जीवन बिताना

*कितना महत्वपूर्ण है 8 का पहाड़ा !**
*इसलिए हँसते रहें,* *हँसाते रहें, प्यार से रहें,*
*परिवार और दोस्तों के सङ्ग रहें !

मंगलवार

इन मंदिरों में आज ही जाइए, यह वर्तमान इतिहास बनने वाला है

मंदिर का इतिहास एक बहुत ही विशाल और विविध विषय है, जिसमें भारत के अनेक प्राचीन, प्रसिद्ध और पावन मंदिरों के बारे में जानना संभव है। मंदिरों का इतिहास में हमें मंदिरों के निर्माण, संरक्षण, पूजा-विधि, महत्व, कहानी, रहस्य, चमत्कार, संस्कृति, कला, वास्तु, समाज-धर्म, आस्था, भक्ति और अन्य पहलुओं के बारे में पता चलता है।

विशेष मंदिर जैसे सोमनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर और करणी माता मंदिर के बारे में कुछ प्रमुख जानकारी नीचे लिखी है, 

सोमनाथ मंदिर
12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला है, सौराष्ट्र में समुद्र के किनारे स्थित है, रीति-रिवाज के मुताबिक प्रति सोमवार को दर्शन अच्छे होते है, प्रलय के समय को सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता रखते है। इसका निर्माण सोमराज (Chandradev) ने प्रसन्नता प्राप्ति के लिए कराया था, परन्तु 16वीं शताब्दी ई. में महमूद गजनवी (गजनवी) ने 17 बार मंदिर को लूटा और नष्ट कर दिया।

बद्रीनाथ मंदिर 
भारत के चार चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। यह मंदिर समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर अप्रैल से नवंबर तक छह महीने के लिए खुला रहता है और सर्दियों के दौरान कठोर मौसम की स्थिति के कारण बंद रहता है। यह मंदिर काले पत्थर से बनी भगवान विष्णु की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे विष्णु के आठ स्वयंभू रूपों में से एक माना जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर
भारत के सबसे अमीर और सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, और आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी ईस्वी में पल्लव राजवंश द्वारा किया गया था। यह मंदिर वेंकटचला पहाड़ी पर स्थित है, जो शेषचलम पर्वतमाला का हिस्सा है। यह मंदिर अपने लड्डू प्रसादम के लिए प्रसिद्ध है, जिसे भक्तों को आशीर्वाद के रूप में दिया जाता है। यह मंदिर मुंडन की रस्म के लिए भी जाना जाता है, जहां भक्त भगवान के प्रति समर्पण के संकेत के रूप में अपना सिर मुंडवाते हैं।
करणी माता मंदिर
भारत का एक अनोखा और असामान्य मंदिर है। यह करणी माता, एक महिला ऋषि और देवी दुर्गा का अवतार, को समर्पित है और राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में महाराजा गंगा सिंह ने कराया था। यह मंदिर अपने चूहों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पवित्र माना जाता है और करणी माता के वंशज के रूप में उनकी पूजा की जाती है। मंदिर में हजारों चूहे हैं, जो परिसर में खुलेआम घूमते हैं और भक्त उन्हें खाना खिलाते हैं। यह मंदिर अपने सफेद चूहों के लिए भी जाना जाता है, जिन्हें शुभ माना जाता है और माना जाता है कि जो लोग उन्हें देखते हैं उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं ।


आप मुझसे किसी भी मंदिर के बारे में पूछ सकते हैं, मैं आपको उसका इतिहास बताने की कोशिश करूंगा।